पंडित जसराज शास्त्रीय संगीत के उपासक

भारतीय शास्त्रीय संगीत के विश्वविख्यात गायक, पण्डित जसराज छह दशकों से भी ज्यादा समय से देश को एक विभूति बन गौरवान्वित कर रहे है। पंडित जसराज का  जन्म 28 जनवरी, 1930 को एक ऐसे परिवार में हुआ जिसे 4 पीढ़ियों तक हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत को एक से बढ़कर एक शिल्पी देने का गौरव प्राप्त है। उनके पिताजी पंडित मोतीराम जी स्वयं मेवाती घराने के एक विशिष्ट संगीतज्ञ थे। पंडित जसराज को संगीत की प्राथमिक शिक्षा अपने पिता से ही मिली। जब वे मात्र 3 वर्ष के थे तब उनके पिता का देहांत हो गया, 14 वर्ष की उम्र में उन्होंने प्रण किया की शास्त्रीय गायन में विशारद प्राप्त नहीं कर लेते, तब तक अपने बाल नहीं कटवाएँगे.

मेवाती घराने के दिग्गज महाराणा जयवंत सिंह वाघेला से तथा आगरा के स्वामि वल्लभदास जी से संगीत विशारद प्राप्त किया। शास्त्रीय गायक पंडित जसराज ने अनूठी उपलब्धि हासिल की है, 82 वर्षीय शास्त्रीय गायक ने हाल में अंटार्कटिका के दक्षिणी ध्रुव पर अपनी प्रस्तुति दी, इसके साथ ही उन्हें सातों महाद्वीपों में कार्यक्रम पेश करने वाले पहले भारतीय की उपलब्धि भी हासिल है।

पद्म विभूषण से सम्मानित पंडित जसराज ने पहली बार सन 2008 में रिलीज किसी हिंदी फिल्म के एक गीत को अपनी आवाज दी, विक्रम भट्ट निर्देशित फिल्म ‘1920’ के लिए उन्होंने अपनी जादुई आवाज में एक गाना गाया है। पंडित जसराज कहते हैं कि मेरी शुरुआत तबले से हुई थी।

पुरस्कार

  • पदम विभूषण (art-classical music-vocal) in 2000
  • संगीत नाटक अकादमी अवार्ड 1987
  • संगीत कला रत्न
  • मास्टर दीनानाथ मंगेश्कर अवार्ड
  • लता मंगेश्कर पुरस्कार
  • महाराष्ट्र गौरव पुरस्कार
  • संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार 2010
  • भारत मुनी सम्मान 2010

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